स्मार्ट सिटी मिषन: स्मार्ट प्रयागराज के निर्माण की ओर एक कदम

(Smart City Mission: One more step towards Building Smart Prayagraj)

 

शिखा शर्मा1, प्रो. आर.सी. सिंह2

1षोधार्थी, भूगोल विभाग, सी.एम.पी. डिग्री कालेज, इलाहाबाद विष्वविद्यालय, प्रयागराज।

2एसोसिएट प्रोफेसर, भूगोल विभाग, सी.एम.पी. डिग्री कालेज इलाहाबाद विष्वविद्यालय, प्रयागराज।

*Corresponding Author E-mail: shikhas1196@gmail.com

 

ABSTRACT:

इस अनुसंधान कार्य में स्मार्ट सिटी योजना क्या है तथा यह क्यों अस्तित्व में लाई गई, स्मार्ट सिटी योजना के आधारभूत तत्वों, स्मार्ट सिटी की विषेषताओं आदि का अव्ययन किया गया है। प्रयागराज में स्मार्ट सिटी योजना का यहाँ के नागरिकों पर क्या प्रभाव पडेगा तथा स्मार्ट सिटी योजना का प्रयागराज में जलआपूर्ति, ठोस और तरल अपषिष्ट प्रबंधन, स्टाँम वाटर ड्रेन व्यवस्था, सीवेज और सफाई व्यवस्था आदि की वर्तमान स्थिति और इस योजना के लागू होने के बाद इसमें हुये परिवर्तनों को इस अनुसंधान पत्र द्वारा जानने का प्रयास किया गया है साथ ही यह भी जानने का प्रयास किया गया है कि स्मार्ट योजना प्रयागराज महानगर में कहाँ तक सफल हुई है?

 

KEYWORDS: स्मार्ट सिटी, प्रयागराज, योजना, जलआपूर्ति, अपषिष्ट सीवेज, महानगर, नगर, शौचालय, प्रदूषण, प्रबंधन अवसंरचना, स्मार्ट नगर, नगर निगम, वृक्षारोपण

 

 


INTRODUCTION:

ब्रंटलैण्ड रिपोर्ट के अनुसार:-

विकास की वह प्रक्रिया, जिसमें संसाधनों का उपयोग इस प्रकार किया जाये कि वर्तमान पीढी की आवष्यकताओं की पूर्ति हो जाये और भावी पीढी के लिये भी आर्थिक संसाधन बचे रहे, उसे धारणीय विकास कहा जाता है। किसी भी राष्ट्र के विकास की प्रक्रिया तीन रूपों अर्थव्यवस्था, समाज और पर्यावरण की स्थिति और परिस्थिति में दृष्टिगोचर होती है। धारणीय विकास की अवधारणा इन्ही तीनों के संतुलित विकास में दिखाई देती है। आज विष्व के कुल जनसंख्या का 56 प्रतिषत तथा विष्व के कुल आबादी का 4.4 अरब जनसंख्या षहरों में निवास करती है। आने वाले समय में यह प्रवृत्ति जारी रहने की उम्मीद है और वर्ष 2050 तक षहरी जनसंख्या अपने वर्तमान आकार से दो गुनी से भी अधिक हो जायेगी। जनसंख्या का विष्लेषण करने वाले विद्वानों का ऐसा मानना है कि वर्ष 2050 तक हर 10 व्यक्ति में से 7 व्यक्ति षहरों में रहन लगेगा।

 

वर्तमान में विष्व के सकल घरेलु उत्पाद ;ळक्च्द्ध का लगभग 80 प्रतिषत शहरों से उत्पन्न होता है। यदि षहरीकरण के इस विकास प्रक्रिया का सही प्रकार से प्रबंधन और नियमन किया जाये तो शहरीकरण की बढ़ती हुई यह प्रक्रिया नवाचार के माध्यम से आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय सतत् विकास की प्रक्रिया को एक नया आयाम प्रदान कर सकती है।

हालांकि, शहरीकरण की बढ़ती गति अनेक चुनौतियों को भी जन्म देती है। जैसे-कम लागत के आवासों की कमीं, परिवहन प्रणालियों की अनेक विसंगतियाँ, जीवन व्यापन की बुनियादी सेवाओं की कभी, बढ़ते हुये रोजगार अवसरों की मांग आदि। शहरीकरण की बढ़ती प्रवृत्तियों से बडे पैमाने पर ग्रामीण क्षेत्रों से जनसंख्या का शहरी सुविधाओं को प्राप्त करने हेतु शहरी क्षेत्रों की ओर प्रवास होता है, जिससे शहरों पर दबाव बढ़ता है और 50 प्रतिषत से अधिक जबरन विस्थापित जनसंख्या शहरों में रहती है।

 

एक बार जब किसी शहर का निर्माण हो जाता है तो उस शहर का भौतिक स्वरूप और उसके भूमि के उपयोग का पैटर्न पीढ़ियों तक अपरिवर्तित रहता है, जिसके परिणामस्वरूप शहरों में अस्थिर फैलाव उत्पन्न होता है। इस प्रकार का शहरों का फैलाव भूमि और प्राकृतिक संसाधनों पर अधिक दबाव डालता है, जिसके परिणामस्वरूप शहरी ऊर्जा के खपत का लगभग दो तिहाई उपभोग शहरों द्वारा किया जा रहा है तथा 80 प्रतिषत से अधिक हानिकारक ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन शहरी क्षेत्रों से होता है। ऐसे में शहरी विकास का प्रबंधन और नियमन समय की अनिवार्य माँग बन जाती है। इन समस्याओं और चिंताओं को ध्यान में रखकर हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र दमोदर दास मोदी जी द्वारा 25 जून 2015 को ‘‘स्मार्ट सिटी मिषन’’ ;ैउंतज ब्पजपमे डपेेपवदद्ध प्रारम्भ किया गया ताकि देष के 100 शहरों को स्मार्ट शहरों में बदल कर शहरों मे निवास करने वाले लोगों को गुणवत्ता व्युक्त शहरी सुविधाओं को उपलब्ध कराया जा सके।

 

मानव समाज के विकास के प्रारम्भिक अवस्था से ही नगर आर्थिक विकास का केन्द्र बिन्दु रहे है और भारत इसका अपवाद नही रहा है। सिंधुघाटी सभ्यता का नगरीय नियोजन इसका उत्कृष्ट उदाहरण है कि भारत जैसे विविधताओं से युुक्त देष में नगरों का क्या महत्व रहा है।

 

भारत में वर्ष 2011 में हुई जनगणना के अनुसार भारत की कुल आबादी का लगभग 31 प्रतिषत जनसंख्या नगरों में निवास करती है और सकल घरेलु उत्पाद ;ळक्च्द्ध में लगभग 63 का योगदान करती है। बड़े पैमाने पर हो रहे नगरीकरण को देखते हुए आज नगरों को और अधिक स्मार्ट बनाये जाने तथा नगरीय विकास की जटिलताओं को दूर करने, नगरीय सुविधाओं की कुषलता में वृद्वि करने, नगरीय जीवन यापन के व्ययों को कम करने तथा नगरीय स्तर में सुधार करने तथा नगरीय क्षेत्र में सार्वधनिक और निजी निवेषों को बढाने के लिए नए-नए तरीके और उपाये ढूँढने की आवष्यकता है। इन्ही तथ्यों और बातों को ध्यान में रखकर भारत सरकार ने सभी राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों में 100 नगरों को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने की पहल की है। इस कार्य हेतु भारत सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2015-16 से 2019-20 तक की समय अवधि निर्धारित की गई है स्मार्ट सिटी की अवधारणा नगरीय नियोजन की एक नवीनतम अवधारण है जिसका उद्भव स्मार्ट सिटी और नगरीयकरण की बढ़ती प्रवृत्तियों के फलस्वरूप उत्पन्न समस्याओं के समाधान के लिए हुआ है। यद्यपि स्मार्ट सिटी की कोई निष्चित परिभाषा नही है तथा इसकी अवधारणा विभिन्न देषों के लिए उनकी भौगोलिक स्थिति और आर्थिक विकास के स्तर तथा वहाँ के निवासियों के आकांक्षाओं के अनुसार बदलती  और परिवर्तित होती रहती है। यूरोपीय देषों की तुलना में भारत में एक स्मार्ट सिटी एक अलग ही अर्थ रखती है। स्मार्ट सिटी मिषन के दृष्टिकोण के अनुसार स्मार्ट सिटी का अर्थ उन शहरों को बढावा देना है जो अपने नगरवासियों को मुख्य बुनियादी ढाँचा उपलब्ध करते है, जिससे वे गुणवत्तायुक्त जीवन यापन कर सके, एक स्वच्छ और टिकाऊ पर्यावरण और स्मार्ट तरीके से अधिक संसाधनों का उपयोग कर सके। इसका उद्देष्य एक अनुकूल मॉडल बनाना है जो अन्य महत्वाकांक्षी शहरों के लिए एक लाइट हाउस की तरह कार्य करें।

 

स्मार्ट सिटी के आधारभूत तत्व:-

शहरी विकास मंत्रालय द्वारा स्मार्ट सिटी के लिए तैयार दिषा-निर्देषों द्वारा एक स्मार्ट नगर के प्रमुख आधारभूत तत्व निम्नलिखित बताये गये है।

1.     पर्याप्त जल आपूर्ति

2.     सुनिष्चित विधुत आपूर्ति

3.     प्रभावषाली नगरीय गतिषीलता और सार्वजनिक परिवहन

4.     सुषासन, विषेषकर -षासन, नगरीय भागीदारी और सतत् पर्यावरण

5.     नागरिकों विषेषकर महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों की रक्षा और बचाव

6.     स्मार्ट स्वास्थ्य षिक्षा।

 

स्मार्ट सिटी की विषेषताएँ:-

एक स्मार्ट नगर के अन्तर्गत निम्न विषेषतायें दृष्टिगोचर होनी चाहिए।

1.   मिश्रित भूमि उपयोग को बढावा देना

2.   नागरिकों हेतु वाहनीय आवास की व्यवस्था करना।

3.   परिवहन के विभिन सार्वजनिक साधनों को विकसित करना

4.   टेली मेडिसिन और टेली एजुकेषन

5.   व्यापार सुगमता केन्द्र

6.   कौषल विकास केन्द्रों को विकसित करना आदि

स्मार्ट सिटी योजना के अन्य तथ्यों को निम्न बिन्दुओं के माध्यम से स्पष्ट किया जा सकता है-

 

स्मार्ट समाधान (Smart Solutions) %&

स्मार्ट सिटी विवरण के अनुसार 21 स्मार्ट समाधान है जिन्हे मुख्यतः 6 उपवर्गों में वर्गीकृत किया गया है जो निम्नलिखित है।

E- Governance and Citizen Services.

1.    Public Information, Grievance Redressal.

2.    Electronic Service Delivery

3.    Citizen Engagement.

4.    Citizens – City’s eyes and ears.

5.    Video Crime monitoring.

6.    Waste management

7.    Waste to energy and fuel.

8.    Waste to co post

9.    Waste water to be treated.

10. Recycling and Reduction of C and D waste water management.

11. Smart waters and management

12. Leakage identification, Preventive maint

13. Water Quality Monitoring Energy Management.

14. Smart meters and management

15. Energy efficient and green buildings

 

Urban Mobility:

16. Smart Parking

17. Intelligent traffic management.

18. Integrated multi –modal transport

 

Others:

19. Tele – medicine and tele education.

20. Incubation /trade facilitation centers

21. Skill development centers.

 

स्मार्ट सिटी योजना का प्रारम्भ वर्ष 2015 में आवास और शहरी मामले का मंत्रालय द्वारा 100 शहरों के विकास हेतु 5 साल की अवधि वर्ष 2015-16 से 2019-20 तक के लिए किया गया। इस येाजना में सम्मिलित शहरों को निम्न चित्र के माध्यम से स्पष्ट किया जा सकता है:-

 

चूंक उत्तर प्रदेष भारत का जनसंख्या के दृष्टिकोण से सबसे बडा राज्य है अतः इस योजना के अन्तर्गत इसके सबसे ज्यादा 17 शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने का दायित्व दिया गया। स्मार्ट सिटी मिषन के अन्तर्गत उत्तर प्रदेष में इन 17 शहरों का चयन अलग अलग चरणों में किया गय इसमें पहले चरण में ‘लखनऊ’, दूसरे चरण में कानपुर आगरा और वाराणसी, तीसरे चरण में ‘प्रयागराज’ (इलाहाबाद) अलीगढ़ तथा ‘झाँसी’ तथा चौथे चरण में बरेली सहारनपुर और मुरादाबाद का चयन किया गया। इन 10 नगरों के अतिरिक्त 7 नगरों को मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने स्मार्ट सिटी के रूप में चुना, जिसमें अयोध्या, गोरखपुर गाजियाबाद, फिरोजाबाद, मथुरा, वृन्दावन, मेरठ और शाहजहाँपुर शामिल हैं।

 

प्रयागराज जिसे पूर्व में इलाहाबाद के नाम से जाना जाता था, वह उत्तर प्रदेष की न्यायिक, शैक्षिक और धार्मिक राजधानी है। प्रयागराज का क्षेत्रफल 5482 वर्ग कि.मी. है। यहाँ की कुल जनसंख्या 59,54,391 है।  इस वृहद क्षेत्र की आर्थिक न्यायिक, शैक्षिणिक और सामाजिक तथा धार्मिक क्रियाकलापों का इस वृहद क्षेत्रफल पर जनसंख्या का दबाव अत्यधिक होने से स्मार्ट सिटी योजना का यहाँ के नगरीय जीवन पर व्यापक प्रभाव पड़ा है।

 

स्मार्ट सिटी योजना में प्रयागराज के सम्मिलित होने के बाद यहाँ के नगरवासियों को यातायात, विधुत, जल, महिला सुरक्षा, डिजिटिलीकरण से युक्त नगरीय सेवाओं की सुविधाएँ मुहैया कराने में स्मार्ट सिटी योजना एक निर्णायक भूमिका अदा कर सकती है। यहाँ के प्रमुख नगरीय क्षेत्र है-कटरा, सिविल लाइन्स, मम्फोर्डगंज, दारागंज, सलोरी, षिवकुटी जार्जटाउन, अल्लापुर आदि। यहाँ पर सड़क परिवहन यातायात, जल आपूर्ति, विधुत आपूर्ति आदि नगरीय सेवाओं का कुछ क्षेत्रों में बहुल्यता है। जबकि कुछ क्षेत्र स्मार्ट सिटी योजना के बावजूद इन नगरीय सुविधाओं से या तो वंचित है या वहाँ इन नगरीय सुविधाओं की गुणवत्ता निम्न स्तरीय है। इसी के साथ ही शहर का बड़ा वर्ग षिक्षा, रोजगार, आधुनिक सुविधाओं आदि के मामले में पीछे है।

 

स्मार्ट सिटी योजना के अन्तर्गत प्रयागराज में स्वच्छ भारत मिषन अमृत योजना, अटल मिषन कार कायाकल्प, संवर्द्वन योजना, डिजिटिलीकरण भारत तथा प्रयागराज में वन सिटी वन ऐप जैसी योजनाएँ स्मार्ट सिटी के विकास में सर्वागीण भूमिका निभा रही है।

 

शोध समस्या:-

नगरी क्षेत्र मानवीय अधिवास हेतु आकर्षण के कारक के रूप में कार्य करते है। नगरीय क्षेत्र मानवीय अधिवास हेतु आकर्षण के कारक के रूप में कार्य करते है यही कारण है कि शहरों पर जनसंख्या का दबाव बढ़ता जा रहा है। अत्यधिक जनसंख्या के दबाव के कारण नागरिकों को अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएँ, षिक्षा कम लागत के आवास और बुनियादी ढ़ाँचे की आवष्यकता होती है। नागरिकों को अच्छी बुनियादी ढाँचे की आवष्यकता होती है। इस प्रकार संसाधनों के प्रभावी प्रबंधन और नियमन, स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने, जनसंख्या वृद्वि और जलवायु परिवर्तन के लिए सुव्यवस्थित शहरीकरण तथा उचित परिवहन व्यवस्था हेतु स्मार्ट सिटी योजना अस्तित्व में आई।

 

प्रयागराज जिले की लगभग आधी जनसंख्या नगरों में निवास करती है। जहाँ आज भी परिवहन, आवास प्रतिरूपों, यातायात महिला सुरक्षा, ऊर्जा प्रबंधन, सड़क व्यवस्था आदि में सामंजस्य नहीं बैठा है जिसमे नगरीय क्षेत्र में रहने वाला जनसंख्या का एक बडा वर्ग इन अव्यवस्थाओं से कुप्रभावित है। शहर के कुछ क्षेत्र में विकास की प्रक्रिया आज भी मन्द गति से चल रही है। इन प्रमुख समस्याओं को देखते हुए ही स्मार्ट सिटी योजना का प्रयागराज नगर के नागरिकों के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ेगा, का अध्ययन करने हेतु मेरे द्वारा इस शोध पत्र में प्रयागराज नगर में स्मार्ट सिटी योजना का नगरीय विकास पर क्या प्रभाव पडेगा का अध्ययन किया जायेगा तथा यह स्मार्ट सिटी योजना प्रयागराज के विकास में किस स्तर तक सफल हुई का अध्ययन किया जायेगा।

 

अध्ययन क्षेत्र (Study area-Prayagraj) %&

जनसंख्या और क्षेत्रफल के दृष्टिकोण से प्रयागराज उत्तर प्रदेष के प्रमुख जिलों में से एक है। इसका अक्षांषीय और देषान्तरीय विस्तार 250280 से 81054ष् म् है। सम्पूर्ण विष्व में प्रयागराज अपने धार्मिक इतिहास और वर्तमान के कारण विख्यात है। इसका सम्पूर्ण विस्तार गंगा के मध्यवर्ती मैदान क्षेत्र में है और गंगा इलाहाबाद में अपने सबसे बडे पाट का निर्माण करती है। भौगोलिक दृष्टिकोण से प्रयागराज को तीन भौगोलिक क्षेत्रों में बाँटा जाता है-

1. गंगा का मैदानी क्षेत्र

2. यमुना का मैदानी क्षेत्र

3. गंगा यमुना का दोआव क्षेत्र

 

गंगा और यमुना के इस सम्पूर्ण क्षेत्र जिसे इलाहाबाद के नाम से जाना जाता था, में संगम में गंगा और यमुना जैसी नदियों का संगम होता है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार प्रयागराज नगर लगभग 70 कि.मी. क्षेत्रफल में फैला है और इसकी जनसंख्या 1,168,358 व्यक्ति है। प्रषासनिक दृष्टिकोण से प्रयागराज को 80 वार्ड़ाें में बांटा गया है।

 

 

iz;kxjkt ftys ds lanHkZ esa dqN rF;

S.N.

Category

Year 2001-02

Year-2010-11

Year 2010-1/2001-02

1

Population

1018092

1117094

0.93%

2.

Population Density

 

8786.05

 

3.

Municipal Wards

40

80

7.18%

4.

Family Size

74

7.6

0.27%

5.

Area Sq.Km

170.27

170.27

0.0%

6.

Number of Slow area

185

356

6.76%

7.

House Holds

136680

208000

4.29%

8.

Commercial and other establishments notes and restaurants

3106

4046

2.68%

Source : City Sanitation plan Prayagraj

 

अध्ययन विधि (Methodology) :&

इस अध्ययन हेतु प्राथमिक और द्वितीय दोनो स्त्रोतो से प्राप्त आँकडों का उपयोग किया गया है। प्राथमिक आंकडों को प्रष्नावली विधि द्वारा विभिन्न नागरिकों से प्राप्त किया गया है जबकि द्वितीय आंकडों को प्राप्त करने के लिए विभिन्न सरकरी और गैर सरकारी संस्थाओं के बेवसाइट और पोर्टल का उपयोग किया गया है। इन सभी के अलावा उत्तर प्रदेष सरकार के विभिन्न वेबसाइट और पोर्टलों का उपयोग इस अनुसंधान कार्य में किया गया है। इसके अलावा इस अध्ययन से जुडे कई शोधपत्रों पत्र-पत्रिकाओं, रिपोर्ट, सर्वे, गैर सरकारी संगठनों आदि के आँकडों तथा तथ्यों का उपयोग वांछनीय उद्देयों को प्राप्त करने के लिए किया गया है। प्रयागराज जिला जनसंख्या जनगणना हैंड बुक, स्मार्ट सिटी योजना से प्राप्त आँकडे, प्रयागराज नगर निगम, प्रयागराज जल कल विभाग, स्वास्थ्य विभाग प्रयागराज, उत्तर प्रदेष स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग प्रयागराज, प्रयागराज विकास प्राधिकरण ;च्क्।द्ध आदि स्त्रोतों से प्राप्त आंकडों का उपयोग इस अनुसंधान कार्य में किया गया है।

 

आँकडों का विष्लेषण (Data Analysis) %&

इस अनुसंधान कार्य में आँकडों का विष्लेषण निम्न चार बिन्दुओं के आधार पर किया गया है, जिसका विवरण इस प्रकार है।:-

 

1.   जल आपूर्ति:-

प्रयागराज शहर को 12 जल आपूर्ति क्षेत्रों में बाँटा गया है। लूकरगंज, खुसरों बाग और अटाला को जल आपूर्ति सतहीय जल से होती है, जबकि सिविल लाइन और कीडगंज क्षेत्र को जलआपूर्ति सतहीय जल और भूमिगत जल दोनो स्त्रोतों से होती है। इसके अलावा शेष अन्य क्षेत्रों, कर्नलगंज, दारागंज, रसूलाबाद, सुलेमसराय, नैनी, फाफामऊ, झूँसी को जल आपूर्ति भूमिगत जल नलकूप के माध्यम से प्राप्त होता है। प्रयागराज नगर के लगभग 75 प्रतिषत क्षेत्रफल पर तक विस्तारित है जो लगभग 1122 कि.मी. क्षेत्रफल तक विस्तारित है। और इसका रख रखाव जल कल विभाग द्वारा किया जाता है। जल कल विभाग द्वारा प्रयागराज नगर को 10 घण्टे जल आपूर्ति तीन चरणों प्रथम चरण 6रू00 ंउ जव 10रू00 ंउ द्वितीय चरण 12रू00 ंउ जव 02रू00 चउ तथा तृतीय चरण 06रू00 चउ जव 10रू00 चउ में किया जाता है।

 

Ψ-

volajpuk

la[;k

{kerk

1-

vksoj gsM Vadh

13

12-35

2-

tksuy iafiax LVs'ku

03

5-85

3-

VSadj

4-7

 

4-

dqy {kerk

285-7

 

Source: SLB data

SLB Grading for indicator values.

 

इस प्रकार प्रयागराज नगर में जलआपूर्ति से संबंधित विभिन्न बिन्दुओं को निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है।

1.   प्रयागराज नगर में भूमिगत जल पर निर्भरता ज्यादा है जिसके कारण निर्बाध जल आपूर्ति बनाये रखने हेतु भारी रख रखाव व्यय करना पड़ता है।

2.   बहुत सारे नलकूप सूख गये है और वे वर्तमान में उपयोग से बाहर हो गये है।

3.   वर्तमान जलआपूर्ति प्रणाली पुरातन हो गयी है जिसमें रिसाव एक बडी समस्या है और इनके रख रखाव पर ज्यादा धन व्यय होता है।

4.   जल आपूर्ति में पर्याप्त दबाव होने के कारण सीमांत क्षेत्रों तक जल उपलब्ध नहीं हो पाता है।

5.   प्रयागराज जल-कल विभाग द्वारा आपूर्ति की जाने वाले जल की गुणवत्ता संतोषजनक नहीं है।

6.   कुल जलआपूर्ति का मात्र 1 प्रतिशत ही मीटर के द्वारा संचालित है।

7.   शहरी जनसंख्या पिछले कुछ वर्षों से ज्यादा तेज बढने के कारण जल संसाधनों पर भारी दबाव है।

 

ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन:-

तरल और ठोस अपशिष्ट का प्रबंधन करना प्रयागराज नगर के लिए एक बडी समस्या और चुनौती है। प्रयागराज नगर में अपशिष्ट उत्पन्न करने वाले प्रमुख बिन्दु हैः- घरेलू अपशिष्ट पशुओं से उत्पन्न अपशिष्ट, अस्पतालों से उत्पन्न अपशिष्ट हॉल और रेस्टोरेंट से उत्पन्न अपशिष्ट बाजारों और सार्वजनिक स्थानों से उत्पन्न अपशिष्ट आदि।

 

Generation of Municipal Solid wase

S.N.

Source of Solid waste

Percentage Share

Solid waste Generated (TPD)

1.

House Holds

46%

247

2.

Markets

06%

35

3.

Streets Sweeping

05%

27

4.

Hotel and Restorants

01%

06

5.

Commercial establishment

01%

05

6.

Other sources

41%

220

Source : uxj fuxe iz;kxjkt

 

इस प्रकार प्रयागराज नगर में अपशिष्ट प्रबंधन से जुडे विभिन्न बिन्दुओं को इस प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है।

1. घर से घर अपशिष्ट इकट्ठा करने की व्यवस्था का पूरे क्षेत्र में अभी तक विस्तार नही हो पाया है।

2. अपशिष्ट इकट्ठा करने वाले स्थानों का प्रबंधन उचित नही है जिसमें इन स्थानों के आस-पास रहने वाले लोगों को अनेक समस्या होती है।

3. अपशिष्ट पदार्थों के पुर्नचक्रण की व्यवस्था गुणवत्ता युक्त नही है।

4. अपशिष्ट पदार्थों का पुर्नचक्रण उत्पादन केन्दों से काफी दूर होता है, जिससे व्ययों में वृद्वि होती है।

5. नगरवासियों में अपशिष्ट प्रबंधन से जुडे ज्ञान की कमी भी एक बडी समस्या और चुनौती है।

6. अपशिष्ट पदार्थों का नालों में डाल दिया जाना भी एक समस्या के रूप में उभर कर सामने आया है।

7. अपशिष्ठों के एकत्र किये जाने के स्थान पर पशुओं और अन्य माध्यमों से अपशिष्टों का चारों ओर फैलाव एक बडी समस्या है।

 

3. स्टॉम वाटर ड्रेन व्यवस्था:-

प्रयागराज नगर में लगभग 2364 कि.मी. लम्बी सड़कों का विस्तार है, जबकि इस परिप्रेक्ष्य में मात्र 580 कि.मी. सडकों पर ही स्टॉम वाटर डेͺ व्यवस्था का विस्तार है। जो प्रयागराज नगर में मात्र 40 हिस्से को ही कवर करता है हालांकि प्रयागराज के स्मार्ट सिटी योजना में सम्मिलित होने के बाद इसमें कुछ वृद्वि देखी गई है। प्रयागराज में वर्तमान में वृद्विमान वाटर ट्रेन व्यवस्था काफी पुरानी है साथ ही उचित रख रखाव और पुर्ननिर्माण की कमी के कारण वर्षा ऋतु में इनकी जल निकासी व्यवस्था की कमियाँ स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। प्रयागराज नगर में वर्तमान में वृद्विमान वाटर ड्रेन अवस्था में 13 ड्रेन यमुना और 44 ड्रेन गंगा में जल निकासी करते है। इन ड्रेनों से हर वर्ष गंगा और यमुना का जल निचले क्षेत्रों में भर जाता है। इसमें अल्लापुर और छोटा बघाडा सबसे ज्यादा दुष्प्रभावित होते है।

 

The logging of strom wate in prayagraj

S.N.

Water Logging areas

Word Number

Number of Area

1.

Rajapur

04

01

2.

Ram Bagh , Shiv Kuti

09

02

3.

Krishna Nagar Up to triveni Road, Alengang

14

03

4.

Allahpur, George Town, Bhardwaj Puram

25

04

5.

Belli Collony Village, Mourabad

27

02

6.

Tagore Town, University area

28

02

7.

Liddle Road, Medical College

31

02

8.

Baghambari Road, Bhaghambari Housing Schense

37

02

9.

Labour Crossing Chok Bhatai

46

02

10.

Matiyara Road, Alopi Bagh

53

02

11.

Tripathi Collony Nai Basti of Sohbatiyabagh Chauraha, Chaukhandi

55

04

12.

Khalasi Lines, Khalashi Line

61

02

13.

Talab Nawab Ral College Road Stanly Road, Suraj Kund, Lukerganj,

 

05

14.

Total Number of Water Logging area

 

33

Source: City Samitation Plan Prayagraj

 

 

इस प्रकार प्रयागराज नगर में स्ट्राम वाटर ड्रेन व्यवस्था से संबंधित विभिन्न बिन्दुओं को इस प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है-

1. वर्तमान वृद्विमान स्ट्राम वाटर ड्रेन अपशिष्टों का डाला जाना एक बडी समस्या है।

2. वर्तमान स्ट्राम वाटर ड्रेन व्यवस्था काफी पुरानी है और यह पर्याप्त मात्रा में अपशिष्ट जल का परिवहन नही कर पाती है।

3. मानसून के आने के बाद इन ड्रेनों के माध्यम से जल निचले क्षेत्रों में जमा हो जाता है।

4. इन स्ट्राम वाटर ड्रेन व्यवस्था के इन बिन्दुओ ंसे गंगा और यमुना में अपरिष्कृत जल अपशिष्ट छोडा जाता है जिससे गंगा और यमुना के जल की गुणवत्ता में हास हो रहा है।

 

4. सीवेज और सफाई व्यवस्था (Sewerage and Sanitation):

प्रयागराज नगर की सीवेज उपचार क्षमता 254 मिलियन लीटर प्रतिदिन है जो नगर मे उत्पन्न क्षमता के अनुसार बहुत ही आम है। यद्यपि प्रयागराज के स्मार्ट सिटी योजना में सम्मिलित होेने के बाद इस क्षमता में वृद्वि हो रही है। वर्तमान में प्रयागराज में उपलब्ध सीवेज उपक्षा केन्द्र बहुत पुराने है और इनकी उपचार गुणवत्ता भी अच्छी नही है साथ ही इनका सही से रख रखाव होने के कारण यह संयत्र निम्न क्षमता के साथ कार्य कर रहे हैं। इन सीवेज उपचार संयत्र का विवरण इस प्रकार हैः-

 

Location of Sewerage Treatment Plant

Capacity in millian letter per day

Naini

80

Rajapur

60

Nawaha Dahi

50

Kodra

25

Ponghat

10

Salori

29

Total

254

Source: ty fuxe iz;kxjkt

 

S.N.

iz;kxjkt esa O;fDrxr yksxksa dh 'kkSpky;ksa rd igq‘p

1.

Total Population

1117094

2.

Total Households

208000

3.

Percentage of Slus Polulations

31 Percentage

4.

Total Number of House Hold & access to toilets

63960

5.

Percentage of non-sluw house holds access to toilets

75 Percentage

Source: City Sanitations Plan Prayagraj

 

S.N

 

Non-Slove areas

Slow area

1.

Population

781966

335128

2.

Households

136522

61336

3.

Households with toilets

102392

4308

4.

House holds with out access to toilets

34131

57027

Source: City Sanitation plan Prayagraj

 

iz;kxjkt uxj esa lkoZtfud 'kkSpky;ksa dh fLFkfr

S.N.

Agencies

Numbers of Toilets

Numbers of seats in toilets

1.

Sulabh Toilets Complex

115

138

2.

Nagar Nigam Toilet

20

200

3.

Toilets Constructed by PPP model

4

68

4.

J.B. I.C Programme

185

2775

5.

Number of urinals

131

-

6.

Total

455

4423

Source: City Sanitation Plan Prayagraj

         

 

इस प्रकार प्रयागराज नगर में सीवेज और सफाई व्यवस्था के संदर्भ में आंकडों के विश्लेषण से स्पष्ट है कि प्रयागराज नगर में जनसंख्या के अनुपात में इनकी व्यवस्था काफी कम है। सीवेज को इकट्ठा करने की व्यवस्था काफी पुरानी है। मलिन बस्तियों में सीवेज और सफाई व्यवस्था निम्न गुणवत्ता वाली है। सीवेज उपचार संयत्रों के क्षमता में सुधार करने की आवश्यकता है ताकि नगर में बढ़ती व्यवस्था यहाँ के नागरिकों को उपलब्ध कराया जा सके।

 

इस प्रकार स्मार्ट सिटी योजना के प्रयागराज में लागू होने के बाद प्रयागराज के नगरीय विकास पर इसका निम्न प्रभाव दृष्टिगोचर हो रहा है।

1. हाईटेक होते रोड, बस स्टैण्ड और सेल्फी प्वाइंट्स

2. वातानुकूलित सिटी बसे

3. सेहत का ख्याल रखने वाली स्मार्ट साइकिले

4. सिविल लाइन्स बालसन चौराहा और विश्वविद्यालय मार्ग के इलाकों में एयर जिम, जिले और आकर्षक कुर्सियाँ

5. चौराहों पर लगे सार्वजनिक एडेͺेस सिस्टम जो आपकी स्वास्थ्य के प्रति सेचत करती विशेषज्ञों और यातायात के नियमों से अवगत करती है।

6. ऊर्जा प्रबंधन में सुधार।

7. अपशिष्टों का प्रबंधन और रख-रखाव।

8. यातायात (सड़कों का प्रबंधन रख-रखाव)

9. विद्युतीकरण में सुधार।

10. जल संसाधन की प्रत्येक नागरिक तक पहुँच

निश्चित रूप से प्रयागराज की खूबसूरती को चार चाँद लगाने हेतु स्मार्ट सिटी योजना के अन्तर्गत विकास कार्य किये जा रहे है जिसे सभी विभागों ने मिलकर पूरा किया है, किन्तु योजना में अभी भी बहुत कुछ शेष है।

 

निष्कर्ष और सुझाव (Conclusion and Suggestion):

इस अनुसंधान कार्य से प्राप्त प्रमुख निष्कर्षों और सुझावों को निम्न बिन्दुओं के माध्यम से स्पष्ट किया जा सकता है।

1. प्रयागराज नगर को और अधिक तकनीकी ज्ञान की आवश्यकता है जिससे पुराने आवासों का रख रखाव हो सके और यहां के नागरिकों को गुणवत्तायुक्त नगरीय सेवा प्राप्त हो सके।

2. नागरिकों के मानसिक सोंच में परिर्वतन की आवश्यकता है ताकि वे अपशिष्टों, अपशिष्ट सीवेज, अपशिष्ट जल आदि के संदर्भ में विभिन्न विभागों के कार्यों में सहायता प्रदान कर सके।

3. नगर की बढ़ती जनसंख्या के अनुपात में ही नगर निगम को नगरीय सुविधाओं में विस्तार करने की आवश्यकता है।

4. पर्यावरण के सदर्भ में प्रयागराज नगर का प्रदर्शन निम्न है और स्मार्ट सिटी के होने वाले कार्यों से अनेकों पेडों को काटा गया है इस प्रकार प्रयागराज नगर निगम और वन विभाग को वृक्षारोपण पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

5. प्रयागराज नगर में प्रदूषण के नियंत्रण जल के प्रबंधन और ठोस तथा तरल अपशिष्ट के पुर्नचक्रण व्यवस्था में सुधार करने की आवश्यकता है।

6. प्रयागराज जैसे विशाल जनसंख्या वाले नगर को प्रदूषण नियंत्रण, सफाई व्यवस्था को बनाये रखने और अपशिष्टों के प्रबंधन के लिए और अवसंरचना की आवश्यकता है क्योंकि प्रयागराज नगर अनेकों पैमाने पर अभी पीछे है और अपने नागरिकों को वे सेवायें उपलब्ध नही करा पा रहा है जिसकी एक स्मार्ट नगर में रहने वाले नागरिकों की इच्छा होती है।

7. इस प्रकार प्रयागराज को एक स्मार्ट नगर बनाने हेतु नगरीय प्रशासन, निजी क्षेत्र, गैर लाभकारी संस्थाओं, शोध कार्य, सार्वजनिक निजी भागीदारी, नागरिकों में अपने उत्तरदायित्व की समझ, केन्द्र और राज्य सरकार की और अधिक सहायता आदि की आवश्यकता है तभी प्रयागराज को स्वप्नों का एक स्मार्ट नगर बनाया जा सकता है, जो स्मार्ट भारत के निर्माण की ओर एक कदम होगा।

 

संदर्भ और प्रकाशनों की सूची:-

1.      टी.एम. विनोद कुमार (2015), 66 एण्ड गवर्नेस फार स्मार्ट सिटीज’’ स्पिंगर मीडिया सिंगापुर।

2.      दुबे, एस (2001), विकास का समाजशास्त्र’’ वाणी प्रकाशन नई दिल्ली।

3.      बी.बी.सी. हिन्दी (2013), क्या आप स्मार्ट सिटी में रहना चाहेगें’’

4.      महामीडिया आनलाइन (2014) माल्टा और कोच्चि की झलक होगी भोपाल स्मार्ट सिटी में‘‘

5.      शहरी और विकास मंत्रालय का आनलाइन डाटाबेस।

6.      इलाहाबाद जिला पुस्तिका

7.      लोकसभा सचिवालय शोध और सूचना प्रभाग

8.      इंदौर में स्मार्ट सिटी एक केस स्टडी’’ सी.एफ.. नई दिल्ली, मार्च 2020

9.      ष्ैउंतज ब्पजल मिशन विवरण और दिशा निर्देश ’’शहरी विकास मंत्रालय, भारत सरकार जून 2015

10.   सिंह नारायण योगेन्द्र एवं प्रो. प्रशान्त घोष Ό2022½A ^^Sustainable path of urbanization in India, “A Case study of Prayagraj city" JETIR.ORG@2022JETIRJUNE 2022; volume9, issue, 6.

11.   "Allahabad as a smart city: SWOT analysis" article, January 2016, Department of Geography, Delhi School of Economics, University of    Delhi, Delhi.

12.   "Smart cities in India " a report, 2015

13.   "Water and sanitation service levels in cities of india (2011-12 and 2012-13), Oct -2014

14.   "Slum free city plan of action-Allahabad" Regional centre for urban and environmental studies, Univerty of Urban development, Govt of India, 2013

15.   www.burningcampasscom

16.   www.mapofindia.com

17.   www.teriin.org

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20.   https://prayagraj.

21.   https:www.incredibleindia.org

22.   smart city.gov.in

23.   India.gov.in

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Received on 30.09.2023        Modified on 24.10.2023

Accepted on 20.11.2023        © A&V Publication all right reserved

Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2023; 11(4):280-290.

DOI: 10.52711/2454-2687.2023.00048